विद्या भैया नहीं रहे
पुरे भारत एवं बहार देशों में विद्या चरण शुक्ला या वीसी शुक्ला या वीसी के नाम से मशहूर थे हमारे सबके चहेते विद्या भैया। वे अपने समर्थकों को अपने साथ जोड़कर रखते थे तथा उनके अच्छे एवं बुरे समय में साथ देते थे या यूँ कहें की हमेशा साथ में रहते थे। उनके समर्थक भी उनसे बहुत ही प्यार करते थे और वे अपने विद्या भैया के कट्टर समर्थक थे। आज भी पुरे छत्तीसगढ़ प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में भी उनके लाखों समर्थक हैं जो आज रो रहें हैं अपने प्यारे भैया को खो देने से, वो भी इस तरह का अंत?
सन 1957 में वे पहली बार सांसद बने फिर सेंट्रल में कैबिनेट मंत्री। उनका हाथ पकड़कर कितने नेताओं ने राजनीती सीखी और कितनों ने उनकी ऊँगली पकड़कर आगे बड़े। उनके सभी पार्टियों के प्रमुख नेतायों से आत्मीय सम्बन्ध थे तथा प्रमुख उद्योगपतियों से उनके गहरे सम्बन्ध थे ।उनका व्यक्तित्व उन्हें दूसरों से अलग रखता था। उनका व्यव्हार ही अलग था जो सभी को उनके तरफ आकृष्ट करता था।
विद्या चरण शुक्ला ने अपना पूरा जीवन एक शेर की भांति जिया। वे सचमुच के लीडर थे। कई बार तो वे प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुँच गए थे लेकिन भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। मेरा भी सौभाग्य रहा उनका सान्निध्य पाने का। मैंने कई बार उनसे उनके रायपुर के लाभानडी स्थित उनके फार्म हाउस में मिला और उनहोंने तो कई बार मुझे अपने साथ बैठाकर भोजन भी कराया।
उनके जिस तरह के सम्बन्ध सभी प्रमुख पार्टियों के आला नेतायों से थे , हमे लगा की वे सब उनके अंत्येष्टि में शामिल होंगे। हो सकता है की किसी व्यस्तता के चलते वे नहीं आ पाए वीसी के अंत्येष्टि पे। पर वे वीसी से मिलने मेदंता हॉस्पिटल में ज़रूर गए , उनका हालचाल पुछा और जल्द स्वास्थलाभ की कामना भी किये। परन्तु विधाता ने कुछ और ही लिखा था जो सभी के द्वारा किये गए प्रार्थना आखरी में काम नहीं आयी।
विद्या भैया सभी के दिलों में राज करते आयें हैं और उनके मृत्यु उपरांत भी राज करते रहेंगे। परमात्मा से येही प्रार्थना है की उनके आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिवार को इस दुःख की स्थिथि से लड़ने के लिए सहस दे।
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