बेरोजगारी दस्तक दे रही है।
विगत 25 दिनों से सभी सम्मानीय समाचार पत्रों से जानकारी मिल रही है की छत्तीसगढ़ के मिनी स्टील प्लांट अत्याधिक घाटे के कारण अपने अपने इकाईयों को बंध कर दिए हैं। ये घाटे विध्युत मंडल के निति के कारण हो रहे हैं। मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अशोक सुराना का कहना है की छत्तीसगढ़ राज्य विध्युत मंडल द्वारा स्थाई डिमांड चार्ज रु 360 /- प्रति केवीए वसूला जा रहा है , साथ ही विध्युत दर रु 4.97/- प्रति यूनिट नेट वसूला जा रहा है। इसके साथ 6% विध्युत शुल्क भी लिया जा रहा है। आगे उनका कहना है की रायगढ़ स्थित जिंदल पार्क के 30 मिनी स्टील प्लांटों को जिंदल द्वारा रु 3.18 प्रति यूनिट नेट में बिजली मुहैया कराई जा रही है और कुछ चुनिन्दे इंटीग्रेटेड स्टील प्लांटो को रु 3.00 /- से भी कम लागत आती है विध्युत उत्पादन करने में।
इससे यह प्रतीत होता है की फर्नेस उद्योगों के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेश में 3 -प्रकार के विध्युत दर प्रचलित है।
ऐसा क्यूँ ? यह बहुत ही बड़ा प्रश्न है। सुराना जी का कहना है की हमने राज्य शाशन के समक्ष यह मांग राखी है की डिमांड चार्ज को रु 180 /- प्रति केवीए , विद्युत दर को रु 3.50 /- प्रति यूनिट नेट में , तथा 6% विध्युत शुल्क को हटा दिया जाये एवं रात्रि कालिन विद्युत दरों में 30 % की छुट दी जाये। अभी फिलहाल छत्तीसगढ़ प्रदेश में विध्युत सरप्लस है, तो क्यूँ राज्य शाशन रात्रि कालीन विध्युत दरों में 30 % की छुट नहीं दे रही है। सरप्लस बिजली मंडल के पास होने के कारण CSPDCL ने जुलाई -2013 से किसी भी प्राइवेट बिजली उत्पादन कंपनी से एमओयू नहीं किया है।
मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल ने 10 अगस्त 2013 को छत्तीसगढ़ के माननीय मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जी से मुलाकात कर मिनी स्टील प्लांटो के हालत के बारे में विस्तृत रूप में जानकारी दी तद्पश्च्यात माननीय मुख्यमंत्री जी ने उन्हें आश्वासन दिया और उनसे मिनी स्टील प्लांटों को पुनः चालू करने के लिए कहा और ये भी सुझाया की उर्जा सचिव और प्रबंध संचालक CSPDCL से मीटिंग कर निर्णय लेकर मुख्यमंत्री महोदय को अवगत कराएँ। जैसा की सुचना है की मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल ने प्रबंध संचालक CSPDCL से मुलाकात कर ली है और अभी अमन सिंह जी से समय न मिलने के कारन मामला अधर में लटका हुआ है।
अधर में मामला लटके होने के कारण , मिनी स्टील प्लांट में कार्यरत कर्मचारी और मजदूरों का भविष्य भी अधर में है। यदि मिनी स्टील प्लांट संपूर्ण रूप से बंध हो जाते हैं तो कर्मचारी और मजदूरों के सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो जाएगी। आने वाला\समय त्योहारों का है और अविलम्ब शाशन द्वारा यदि ठोस निर्णय नहीं लिया गया हो तो बेचारे इन कर्मचारियों एवं मजदूर भाइयों को फीकी त्योहार मनाना पड़ सकता है।
आज जब हम विकास की गाथा गा रहे हैं और आम जनता तक विकास की बातें रख रहें है और कई करोरो रुपया का सौगात दे रहें हैं तो शाशन क्यूँ नहीं इन मिनी स्टील प्लांटों की समस्या का समाधान कर रही है। मिनी स्टील प्लांट के कारोबार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोग जुड़े हुए हैं, इनका भविष्य क्या होगा ? इस विषय पर छत्तीसगढ़ शाशन को गहरी चिंतन कर त्वरित निर्णय लेकर बंद के कगार पर खड़े उद्योगों को रहत पैकेज का सौगात देकर उन्हें जीवित रखने का प्रयास करना चाहिए। ये शाशन को आनेवाले 20 दिनों के अन्दर निर्णय लेना होगा नहीं तो यदि आदर्श अचारसंहिता लग गया तो फिर क्या होगा ये समय के गर्व में है।
विगत 25 दिनों से सभी सम्मानीय समाचार पत्रों से जानकारी मिल रही है की छत्तीसगढ़ के मिनी स्टील प्लांट अत्याधिक घाटे के कारण अपने अपने इकाईयों को बंध कर दिए हैं। ये घाटे विध्युत मंडल के निति के कारण हो रहे हैं। मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अशोक सुराना का कहना है की छत्तीसगढ़ राज्य विध्युत मंडल द्वारा स्थाई डिमांड चार्ज रु 360 /- प्रति केवीए वसूला जा रहा है , साथ ही विध्युत दर रु 4.97/- प्रति यूनिट नेट वसूला जा रहा है। इसके साथ 6% विध्युत शुल्क भी लिया जा रहा है। आगे उनका कहना है की रायगढ़ स्थित जिंदल पार्क के 30 मिनी स्टील प्लांटों को जिंदल द्वारा रु 3.18 प्रति यूनिट नेट में बिजली मुहैया कराई जा रही है और कुछ चुनिन्दे इंटीग्रेटेड स्टील प्लांटो को रु 3.00 /- से भी कम लागत आती है विध्युत उत्पादन करने में।
इससे यह प्रतीत होता है की फर्नेस उद्योगों के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेश में 3 -प्रकार के विध्युत दर प्रचलित है।
ऐसा क्यूँ ? यह बहुत ही बड़ा प्रश्न है। सुराना जी का कहना है की हमने राज्य शाशन के समक्ष यह मांग राखी है की डिमांड चार्ज को रु 180 /- प्रति केवीए , विद्युत दर को रु 3.50 /- प्रति यूनिट नेट में , तथा 6% विध्युत शुल्क को हटा दिया जाये एवं रात्रि कालिन विद्युत दरों में 30 % की छुट दी जाये। अभी फिलहाल छत्तीसगढ़ प्रदेश में विध्युत सरप्लस है, तो क्यूँ राज्य शाशन रात्रि कालीन विध्युत दरों में 30 % की छुट नहीं दे रही है। सरप्लस बिजली मंडल के पास होने के कारण CSPDCL ने जुलाई -2013 से किसी भी प्राइवेट बिजली उत्पादन कंपनी से एमओयू नहीं किया है।
मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल ने 10 अगस्त 2013 को छत्तीसगढ़ के माननीय मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जी से मुलाकात कर मिनी स्टील प्लांटो के हालत के बारे में विस्तृत रूप में जानकारी दी तद्पश्च्यात माननीय मुख्यमंत्री जी ने उन्हें आश्वासन दिया और उनसे मिनी स्टील प्लांटों को पुनः चालू करने के लिए कहा और ये भी सुझाया की उर्जा सचिव और प्रबंध संचालक CSPDCL से मीटिंग कर निर्णय लेकर मुख्यमंत्री महोदय को अवगत कराएँ। जैसा की सुचना है की मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल ने प्रबंध संचालक CSPDCL से मुलाकात कर ली है और अभी अमन सिंह जी से समय न मिलने के कारन मामला अधर में लटका हुआ है।
अधर में मामला लटके होने के कारण , मिनी स्टील प्लांट में कार्यरत कर्मचारी और मजदूरों का भविष्य भी अधर में है। यदि मिनी स्टील प्लांट संपूर्ण रूप से बंध हो जाते हैं तो कर्मचारी और मजदूरों के सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो जाएगी। आने वाला\समय त्योहारों का है और अविलम्ब शाशन द्वारा यदि ठोस निर्णय नहीं लिया गया हो तो बेचारे इन कर्मचारियों एवं मजदूर भाइयों को फीकी त्योहार मनाना पड़ सकता है।
आज जब हम विकास की गाथा गा रहे हैं और आम जनता तक विकास की बातें रख रहें है और कई करोरो रुपया का सौगात दे रहें हैं तो शाशन क्यूँ नहीं इन मिनी स्टील प्लांटों की समस्या का समाधान कर रही है। मिनी स्टील प्लांट के कारोबार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोग जुड़े हुए हैं, इनका भविष्य क्या होगा ? इस विषय पर छत्तीसगढ़ शाशन को गहरी चिंतन कर त्वरित निर्णय लेकर बंद के कगार पर खड़े उद्योगों को रहत पैकेज का सौगात देकर उन्हें जीवित रखने का प्रयास करना चाहिए। ये शाशन को आनेवाले 20 दिनों के अन्दर निर्णय लेना होगा नहीं तो यदि आदर्श अचारसंहिता लग गया तो फिर क्या होगा ये समय के गर्व में है।
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