Saturday, July 27, 2013

उरला -सरोरा मार्ग की हालत भयानक गयी है

उरला -सरोरा मार्ग की हालत भयानक  गयी है

जिस औधोगिक शेत्र से शाशन को करोड़ो रुपये का रजस्व प्राप्त होता हैं, वहां की सड़कें जर-जर हालत में है./ इस औधोगिक शेत्र में काम करने वाले मजदूर , कर्मचारी रोज इस गडढे नुमा रास्ते से आना जाना करते हैन. इनकी समस्या का सुध लेनेवाला कोई नहीं है ./ बेचारे रोजी रोटी के लिए और अपना परिवार चलाने  के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर कार्य करने आते हैं / बजरंग चौक से लेकर शिवली उद्योग तक के रस्ते हैं की भी नहीं यह समहज जे परे है / पूरा का पूरा रास्ता पानी में डूबा हुआ है और रस्ते का बड़ा-बड़ा बोल्डर बाहर निकल आया है / रोज यहाँ जाम की स्थिथि बनी रहती है साथ में अँधेरा होने के कारण दुर्घटना की स्तिथि सबसे अधिक बनी हुई है. / सन्मार्ग इंडस्ट्रीज के सामने वाले  रास्ते की हालात  इतनी नाजुक है की कभी भी कोई वहां  गिर जाये या दुर्घटना का शिकार हो जाये / 










आप फोटो देखेंगे तो आपको समहज में आएगा किस दयनीय स्तिथि में लोग यहाँ काम करने आते हैं / यह वही लोग हैं जो सर्कार बनाने में मदद करती है / बाहरी व्यवस्था सुगम होने से खाली  नहीं चलेगा, अपितु अंदरूनी हालत को भी सुगम बनाना होगा , तभी तो बोल पाएंगे की हमारा रायपुर पुरे देश में अव्वल है / 









पता नहीं क्यूँ शाशन  / प्रशाशन इस ओर ध्यान नहीं दे रही है / मन अभी बरसात का मौसम है तो डामरीकरण नहीं होगा , परन्तु कम-से-कम यह व्यवस्था बनाया जाये की रास्ता डामरीकरण होते तक ठीक - ठाक रहे और लोगों को मुश्किलों का सामना न करना पड़े /

सार्थक इस्पात के डायरेक्टर उदित अग्रवाल ने अपना जन्मदिन हीरापुर स्तिथ ब्लाइंड स्कूल में बच्चों के साथ मिलकर मनाया।

 उदित अग्रवाल ने दृष्टिहीन बच्चों के साथ मनाया अपना जन्मदिन

सार्थक इस्पात के डायरेक्टर उदित अग्रवाल ने अपना जन्मदिन हीरापुर स्तिथ ब्लाइंड स्कूल में बच्चों के साथ मिलकर मनाया। उनहोंने सभी दृष्टिहीन बच्चो के साथ पूरा दिन व्यतीत किया। उनहोंने बच्चो के साथ गाना गया, बच्चों को उपहार भी दिए / सभी दृष्टिहीन बच्चे उदित जी को अपने साथ पाकर बहुत खुश हुए / 



उदित अग्रवाल ने सभी बच्चों को अपने हाथ से खाना परोसा और साथ बैठकर भोजन भी किया / सभी बच्चे इतने ज्यादा खुश थे जिसे व्यक्त करना मुश्किल है / उदित जी समाज सेवा के कार्यों में अधिक रूचि लेते हैं खासकर गरीब-दिन दुखियों के लिए /



  जन्मदिन के मौके पर उनके सभी मित्र हीरापुर स्थित ब्लाइंड स्कूल में उपस्थित थे तथा उनहोंने भी बच्चों के साथ बहुत मजा किया।

Thursday, July 25, 2013

उरला औधोगिक शेत्र के रास्तों की हालत अति भयावह - सुदिप्तो

उरला औधोगिक शेत्र के रास्तों की 
हालत अति भयावह - सुदिप्तो 


सुदिप्तो चटर्जी 
समाज सेवी 
एवं 
छग प्रदेश सचिव - अखिल भारतीय ब्राह्मण सेना 


11 जुलाई 2013 के अख़बार  में प्रकाशित समाचार "उरला-सरोरा रोड की हालत गंभीर " पर अभी तक प्रशाशन द्वारा रास्ते को दुरुस्त करने के लिए कोई उपाय नहीं किया गया है. जब की इस औधोगिक शेत्र में कार्य करने वाले कर्मचारी , अधिकारी एवं इस रास्ते को प्रयोग करने वाले आस-पास शेत्रों के रहवासियों को  कठिनाइयों का सामना करना पड़  रहा है. पूरा का पूरा रास्ता गड्ढे में तब्दील हो गया है. साथ ही इन रास्तों के गड्ढों में  पानी भर जाने के कारन दुर्घटना की स्तिथि बनी  रहती है. इस शेत्र के रहवासी अपने  छोटे बच्चों , परिवार वालों के साथ आना-जाना करते हैं , फिर भी प्रशाशन इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. बिरगांव नगर पालिका के अधिकारी भी इस और ध्यान देना मुनासिब नहीं समहज रहे हैं. कम-से-कम एक बार इस रस्ते में खुद गाड़ी चलाकर तो देखें , तब समहज में आएगा की हालत क्या है . एक तो रास्ते में गड्ढा , दूसरा पूरा रास्ता उबड़ -खाबड़ , बड़े -बड़े  पत्थर बाहर निकल आयें हैं , इस पर यातायात करनेवालों की पूरी हड्डी -पसली एक हो जाती है. साथ ही इतना धुल की सामने से आनेवाली गाड़ियाँ भी दिन में ठीक से नहीं दिखाई पड़ती है . क्या कोई बताएगा की किस प्रकार से  निवेदन करने से रास्ता ठीक बनेगा।  

डामरीकरण अभी बरसात में  नहीं होगा सही है, कम-से-कम मुरुम, गिट्टी से फिलहाल के लिए रास्ते को  दुरुस्त तो किया ही जा सकता है। ऱात के समय तो हालत  बदतर होती है. जहाँ एक ओर ट्रक का  आना जाना है, वहीँ दो-पहिया वाहनों का भी आना -जाना है.  कब बड़ी दुर्घटना घट जाये कोई नहीं बता सकता। यदि कोई दुर्घटना घाट जाये तो इसकी जवाबदारी कौन लेगा , उसके परिवारवालों को कौन पलेगा , क्या हमे कोई इस बारे में अवगत कराएँगे? ऊपर से रौशनी की कमी. हम बाहारी स्वरुप को चुस्त-दुरुस्त करने में लगे हैं , अंदरूनी स्वरुप को कौन बदलेगा जहाँ रोज लोग दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद करते हैं.  


Wednesday, July 24, 2013

Mahanayak-Uttam Kumar , Death Anniversary-24th July



MAHANAYAK >>> UTTAM KUMAR

A legendry Actor (NAYAK) of Bengali Cinema amd also in Hindi Cinema. He has done ;ots of films in Bengali as well as in Hindi. During his debut in Bangla Film Industry, some of the films got flopped, but he never gave-up and after that one by one he started giving Hits after Hits.

Saptapadi, Haranosur, Nishipadda, Nayak, Shilpi, Agnishwar, Amanush, Grihadaha, Shapmochon, Sagarika, Uttar Falguni, Bhrantibilas and many more hits after hits. By this time he touched the Super Stardom. 



Uttam Kumar's hypnotic screen presence, mellow voice, unique charisma and dazzling smile made him not just a heartthrob, but also a legend of Bengali Cinema. For the Bengali fraternity, he was undoubtedly the 'mahanayak' the great hero, the undisputed king of the Bangla silver screen for nearly three decades.



Once Satyajit Ray (Oscar Winning Director) told that if Uttam Kumar refused to do the film "NAYAK", he will never make this film. He told that Nayak is only one that is Uttam Kumar. He also worked in an another film of Mr Ray that is "Chidiyakhana".





After sometimes of his journey in Bengali Cinema, he started producing and directing films. In this also he got success. He made a film "Choti si Mulakat" with lead role by him and Vaijanthimala. The song - "Choti si mulakat ek pyaar ban gayee, Pyaar banke gale ka har ban gayee, ya ya hippi hippi ya ya ya...." was a hit song but the film didn;t done well in box office. Still he never loose hope, again he started making films and also acting in other films of different directors. 



His Hindi film, Amanush, Aanand Ashram, Desh Preme, and other films done a very good in box office.

He was a "Bhojon Rasik" means love to eat and invite friends for a Gala Party. His style of smoking was awesome / stylish and etc etc. His hair style, his presence, attitude, way of talking, smile, dress sence and etc was super-duper simply wonderful.

With his initiative he formed association for the behind the scene employees , workers and technicians. He gave equal respect to every one. SIMPLY A LEGENDARY.

His last film was "OGO BODHU SUNDARI", during the shooting of this film he got massive heart attack and admitted to a nursing home where he died. With this news whole Bengal and film industry was in shock. No words in every ones mouth to say...totally mum. It was not the age that he died very early. If he used to be alive he must have given a new new experimental films. HE WAS SIMPLY A ROMANTIC HERO "(NAYAK)".


During his last journey whole kolkata was by his side.... What an achievement, Love, Affection and Respect for Mahanayak.

Today 24th July is his Death Anniversary. We pay tribute to MAHANAK UTTAM KUMAR and he will be in our heart untill Bengali's are alive.



Tuesday, July 23, 2013

Friday, July 12, 2013

प्राण साहब हमारे बीच नहीं रहे

प्राण साहब हमारे बीच नहीं रहे 

प्राण एक ऐसा नाम है जो सुनते साथ ही आती प्रथिभाशील नायक , खलनायक और करैक्टर आर्टिस्ट के रूप में आँखों के सामने उनका निभाया हुआ किरदार सामने आ जाता है। पड़ने गए पाकिस्तान, हीरो बनके लौटे। उनकी समहज , किरदार में अपने आप को पूरा ढाल देना, इससे उनका कोई भी निभाया हुआ किरदार जीवंत हो उठता था। उनका सिगार / सिगरेट पिने का स्टाइल आज तक कोई कॉपी नहीं कर पाया। उनका  डायलॉग बोलने का अंदाज़ ही निराला था। उन्हें फिल्म जगत के सर्वोच्चो सम्मान -दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाज़ा गया साथ ही हमारे भारत देश की सर्कार उन्हें पद्मबिभुशन से नवाज़ा।



उनका किरदार शेर खान -जंजीर , जेलर -कालिया , शराबी फिल्म में अमिताभ के पिता का किरदार ,
माइकेल -मजबूर , अमर अकबर अन्थोनी में पिता एवं डॉन का किरदार, डॉन फिल्म में एक लंगड़े का किरदार , ऐसे अनगिनत किरदार हैं जो उनहोंने फिल्मो में निभाई है जिसे कोई भी भुला नहीं सकता। आज भी उनके निभाए हुए किरदार आँखों के सामने तैरते हैं .

एक महान शकशियत  , महान अभिनेता और सबसे बड़ी बात एक महान -सरल-व्यक्तित्व , प्राण साहब, जिन्हें हम आज खो दिए। प्राण साहब हमेशा हमारे दिल में रहेंगे और उनका निभाया हुआ किरदार हमेशा जीवंत रहेगा।

अखिल भारतीय ब्राह्मण सेना रायपुर की तरफ से प्राण साहब को श्रधांजलि , नमन। परमात्मा उनके आत्मा को शांति दे।

Wednesday, July 10, 2013

सरोरा - उरला रोड की हालत गंभीर

सरोरा - उरला रोड की हालत गंभीर 



रायपुर के जानेमाने औधोगिक केंद्र उरला एवं सिलतरा के रास्तों की हालत अति -गंभीर बनी हुई है।
इस शेत्र से छत्तीसगढ़ सरकार को अधिक आय होती है फिर भी इस शेत्रों की हालत जस-कि-तस बनी हुई है. औधोगिक एरिया में काम करने वाले मजदुर , कर्मचारी तथा यहाँ के रहवासियों को अत्यधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इन रास्तों से भारी गाड़ियों का आवागमन होता है साथ ही इन्ही रास्तों से मजदुर, कर्मचारी तथा रहवासियों को भी आवागमन के लिए इस्तेमाल करना पड़ता है.

उरला -सरोरा रस्ते की हालत जर्जर हालत में है. पाठ्य पुस्तक निगम के मुख्या डिपो के सामने वाला रास्ता कच्चा है जो की मिटटी से बनी हुई है और इस रास्ते में अनगिनत गढ्ढे हैं और बरसात के समय इन गढ्डों में पानी भर जाने के कारण दुर्घटना की स्तिथि बनी रहती है. यही रास्ता आगे जाकर उरला -सरोरा रस्ते से मिलती है जिसकी हालत और भी गंभीर है. साथ ही रौशनी की कमी होने के कारण रात को रास्ता ठीक से दिखाई नहीं पड़ती है. इसी रास्ते को  सभी मजदुर  एवं कर्मचारी उपयोग करते हैं. कभी भी उरला-सरोरा रास्ते में कोई बड़ी दुर्घटना घट  सकती है. यदि कोई दुर्घटना घाट जाये तो इसकी जिम्मेदारी  कौन लेगा ?

सरकार को चाहिए की वे अपने प्रतिनिधि को भेजकर जानकारी लें और अधिकारीयों को मुआएना के लिए भेजे. नगर पालिका बिरगांव के अधिकारीयों को भी चाहिए की वे इस रस्ते को देखें और त्वरित कार्यवाही करते हुए उरला-सरोरा रास्ते को दुरुस्त करे.
बाहर से अपना रायपुर शहर बहुत ही सुन्दर  दीखता है लेकिन रायपुर के औधोगिक  शेत्रों की देखभाल कौन करेगा.

सुदिप्तो चटर्जी 
समाज सेवी एवं 
छत्तीसगढ़ प्रदेश सचिव - अखिल भारतीय ब्राह्मण सेना