उरला औधोगिक शेत्र के रास्तों की
हालत अति भयावह - सुदिप्तो
सुदिप्तो चटर्जी
समाज सेवी
एवं
छग प्रदेश सचिव - अखिल भारतीय ब्राह्मण सेना
11 जुलाई 2013 के अख़बार में प्रकाशित समाचार "उरला-सरोरा रोड की हालत गंभीर " पर अभी तक प्रशाशन द्वारा रास्ते को दुरुस्त करने के लिए कोई उपाय नहीं किया गया है. जब की इस औधोगिक शेत्र में कार्य करने वाले कर्मचारी , अधिकारी एवं इस रास्ते को प्रयोग करने वाले आस-पास शेत्रों के रहवासियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. पूरा का पूरा रास्ता गड्ढे में तब्दील हो गया है. साथ ही इन रास्तों के गड्ढों में पानी भर जाने के कारन दुर्घटना की स्तिथि बनी रहती है. इस शेत्र के रहवासी अपने छोटे बच्चों , परिवार वालों के साथ आना-जाना करते हैं , फिर भी प्रशाशन इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. बिरगांव नगर पालिका के अधिकारी भी इस और ध्यान देना मुनासिब नहीं समहज रहे हैं. कम-से-कम एक बार इस रस्ते में खुद गाड़ी चलाकर तो देखें , तब समहज में आएगा की हालत क्या है . एक तो रास्ते में गड्ढा , दूसरा पूरा रास्ता उबड़ -खाबड़ , बड़े -बड़े पत्थर बाहर निकल आयें हैं , इस पर यातायात करनेवालों की पूरी हड्डी -पसली एक हो जाती है. साथ ही इतना धुल की सामने से आनेवाली गाड़ियाँ भी दिन में ठीक से नहीं दिखाई पड़ती है . क्या कोई बताएगा की किस प्रकार से निवेदन करने से रास्ता ठीक बनेगा।
डामरीकरण अभी बरसात में नहीं होगा सही है, कम-से-कम मुरुम, गिट्टी से फिलहाल के लिए रास्ते को दुरुस्त तो किया ही जा सकता है। ऱात के समय तो हालत बदतर होती है. जहाँ एक ओर ट्रक का आना जाना है, वहीँ दो-पहिया वाहनों का भी आना -जाना है. कब बड़ी दुर्घटना घट जाये कोई नहीं बता सकता। यदि कोई दुर्घटना घाट जाये तो इसकी जवाबदारी कौन लेगा , उसके परिवारवालों को कौन पलेगा , क्या हमे कोई इस बारे में अवगत कराएँगे? ऊपर से रौशनी की कमी. हम बाहारी स्वरुप को चुस्त-दुरुस्त करने में लगे हैं , अंदरूनी स्वरुप को कौन बदलेगा जहाँ रोज लोग दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद करते हैं.
No comments:
Post a Comment