Sunday, September 8, 2013

कुकृत्य के समाचार सम्मानीय दैनिक में प्रकाशित होना बंद होना चाहिए।

कुकृत्य के समाचार सम्मानीय दैनिक

में प्रकाशित होना बंद होना चाहिए। 

विगत साल भर के करीब हम रोजाना समाचार पत्रों में रेप का 2 -3 समाचार रोजाना पड़ते आ रहे हैं। कभी इस प्रकार के  कुकृत्य का समाचार  फ्रंट पेज का न्यूज़ बनती है या इनर पेज में प्रकाशित होती है। सुबह उठकर प्रत्येक व्यक्ति कुछ अच्छे समाचारों से रूबरू होना चाहता है जिससे की सुबह - सुबह मन फ्रेश लगे और दिन अच्छा हो । लेकिन यदि इस प्रकार का समाचार फ्रंट पेज में प्रकाशित हो तो समाचार पत्र पड़ने वाले व्यक्ति  का मुड का सत्यानाश हो जाता है तथा इस प्रकार के समाचार मन-मस्तिष्क में विपरीत असर भी डालता है। समाचार पत्र केवल वयस्क ही तो नहीं पड़ते है न, घर के दुसरे सदस्य भी पड़ते है, तो सोचिये किस प्रकार का प्रभाव पड़ेगा ? समाचार पत्र से इस कुकृत्य का समाचार पड़ने पर मालूम होता है की आज कल बच्चे भी इससे अछूते नहीं रह गए हैं। क्या हम इसे मस्तिष्क विकृति की संज्ञा दे सकते हैं ? 

प्रत्येक दिन ऐसी घटना दुनिया भर में घाट रही है, और हम यदि सभी को प्रकाशित करने लगे तो पूरा का पूरा अख़बार इस प्रकार के समाचार से भर जायेगा। आज मनुष्य के मन मंदिर में एक अंजना सा डर बैठ गया है। आज हम भी, जब सुबह अख़बार पड़ने के लिए बैठते हैं तो भगवन से प्रार्थना करके बैठते हैं की आज कोई कुकृत्य का समाचार हमे पड़ने को न मिले। 3 साल , 6 -साल , 10 साल  के  बच्चियों से कुकृत्य ? ये क्या है ? बाप द्वारा बेटी से कुकृत्य , मामा , मौसा, इत्यादि, इन समाचारों को पढने के बाद तो रिश्तों से मन डरने पर मजबूर हो जाता है। किस पर भरोसा करे और किस पर नहीं ? यह बहुत ही बड़ी विडम्बना है। और दिनों दिन इस प्रकार की घटना बढती जा रही है ? अब पानी सर के ऊपर जा चूका है।  शासन  को इस पर बहुत ही गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए। वैज्ञानिकों को कैंसर से पहले कुकृत्य न करने का वैक्सीन बनाना चाहिए और सभी को vaccinated करना चाहिए, तभी जाकर हमे इस प्रकार की मस्तिष्क की बिमारियों से मुक्ति मिलेगी और स्वस्थ समाज बनेगा, रिश्तेदारी कायम रहेगी। 
   

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