छत्तीसगढ़ और देश के 10 राज्यों के शेत्रिय पार्टियाँ फ्रंट या अलायन्स बनाने के लिए जुटेंगे ।
यूपीए और एंडीए की तर्ज़ पर छत्तीसगढ़ के शेत्रिय पार्टियाँ छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच के तले एक जुट होकर एक अलग फ्रंट या अलायन्स बनाने की तयारी कर रहे हैं। इसी क्रम में 18 और 19 मई को देश के 10 राज्यों के 15 शेत्रिय दलों को निमंत्रण भेजा जा रहा है। छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ संयुक्त मोर्चा को खड़ा करने के बाद एक नई राजनितिक समीकरण बनाने में जुट गयी है। इस दो दिवसीय सेमिनार के लिए 10 राज्यों के 15 षेत्रीय दलों से संपर्क साधना शुरू हो गया है।
इस दो दिवसीय सेमिनार हेतु बिहार से राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यु और लोक जनशक्ति पार्टी , झारखण्ड से झारखण्ड विकास मोर्चा, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा , उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी , भारतीय लोकदल, ओडिशा से बीजू जनता दल , कर्णाटक से जनता दल सेक्युलर ; आंध्र प्रदेश से तेलेगुदेशम पार्टी और तेलन्गाना पार्टी , महाराष्ट्र से मनसे ; जम्मू कश्मीर से नेशनल कांफ्रेंस और पीडीएसपी ; तथा इसके आलावा छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, स्वाभिमान मंच, छग बहुजन समाज पार्टी , एनपिपि और अन्य प्रमुख नेताओं को इस बृहद सेमिनार हेतु आमंत्रण भेजने का क्रम शुरू हो गया है।
सबसे बड़ा सवाल ये है की यदि ये सब षेत्रीय दल एकजुट होकर एक नया फ्रंट या अलायन्स बनाते हैं तो इसका सीधा असर बीजेपी और कांग्रेस को पड़ेगा।न केवल छग विधानसभा चुनाव में बल्कि आने वाले लोकसभा चुनाव में भी इसका जबरदस्त प्रभाव रहेगा। छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच एक शशक्त विकल्प के रूप में उभर कर आया है और उन्ही के बैनर तले इस भव्य विचार गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।
इससे यह प्रतीत हो रहा है की गटबंधन की राजनीती महत्त्वपूर्ण हो गई है। छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच की इच्छा है की शेत्रिय पार्टियाँ एक जुट होकर एनडीए और यूपीए के समान एक अलायन्स स्थापित करें और देश की जनता के समक्ष एक और राजनितिक विकल्प प्रस्तुत करे। इन षेत्रीय पार्टियों में वे भी शामिल होंगे जो अपने पार्टी से खुश नहीं हैं या उन्हें तवज्जो नहीं मिल रही है। जब टिकेट बाँटने का समय आएगा तो तब समीकरण बहुत बदलेंगे।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय राजनीती में षेत्रीय दलों की भूमिका , महत्त्व , तथा राष्ट्रीय राजनीती में षेत्रीय दलों के गठबंधन की परिस्थितियां और सम्भावना विषय पर सेमिनार, विचार गोष्ठी का आयोजन 18 और 19 मई को प्रस्तावित है। अब देखना ये है की कितनी षेत्रीय पार्टियाँ इस सेमिनार में हिस्सा लेती हैं।
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