छत्तीसगढ़ में पकड़ रहा है चुनावी रंग .
छत्तीसगढ़ में विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले तक कई महत्वपूर्ण घोषणाएं हुई जो आगामी विधानसभा के मद्धेनजर थी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमण सिंह ने अपने बजट में भी 5% वैट में छुट दिया और 270 रुपये का बोनस किसानो को दिए, जो हो सकता है आगामी विधानसभा चुनाव में ब्रह्मास्त्र के रूप में काम करे / नए जिलों के स्थापना दिवस में भी कड़ोरो रूपये के विकास कार्यों की घोशनाएँ हुई जो आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए किया गया /
इसी बीच आदिवासी शेत्रों से आदिवासी मुख्यमंत्री की धीमी मांग उठ रही है / पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविन्द नेताम ने संगमा जी का दामन थाम , साथ ही छत्तीसगढ़ में कुछ और पार्टियाँ एक साथ मिलकर तीसरे मोर्चे की गठन होने की औपचारिक घोषणा की तैयारी में हैं/ और तीसरा मोर्चा छत्तीसगढ़ के सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दिया है लेकिन उस तीसरे मोर्चे में जो जो पार्टियाँ शामिल है वो कौन -कौन से सीटों पर लड़ेगी इसकी मंत्रणा चल रही है/. अरविन्द नेताम जी जो पहले कांग्रेस में थे वे अब तीसरे मोर्चे की कमान सम्हालेंगे और हो सकता है बस्तर में कांग्रेस को कमजोर करेंगे , क्यूँ की उनकी बस्तर में अच्छी पकड़ है और पहले वे पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ल के कट्टर समर्थक के रूप में जाने जाते थे/. छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच भी भाजपा से टूटकर बनी है, हो सकता है दुर्ग ,भिलाई, राजनंदगांव इत्यादि जगह पर भाजपा को वे कमजोर करे /
अभी से भाजपा एवं कांग्रेस के युवा नेता लोगों को अपने साथ जोड़ने में लगे हुए हैं/ वे अभी से युवाओं को अपने पार्टी तले लाने की पूरी कोशिश कर रहें हैं और सदस्यता अभियान चला रहा है/. आगामी 22 मार्च को विधानसभा सत्र ख़तम होगा और 27 मार्च को होली के बाद चुनावी शंखनाद होगा /. अंदर की खबर ये भी है की दोनों पार्टियों के कुछ नेता तवज्जु न मिलने के कारण खफा भी हैं /. उन्हें भी मानाना पड़ेगा/. नोवेल वर्मा जो पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के छत्तीसगढ़ प्रमुख थे , उनहोंने भी इस्तीफा दे दिया है और कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा भी है लेकिन औपचारिक घोषणा नहीं हुई और उनके जगह पर राकांपा ने अपने पूर्व नेता स्वर्गीय रामावतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी को छत्तीसगढ़ राकांपा का अध्यक्ष नियुक्त किया है/. कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ अब होली के बाद चुनावी रंग में डूब जायेगा /. जोड़-तोड़ की राजनीती होने की सम्भावना प्रबल है /. और जिन-जिन नेताओं को पार्टी से टिकेट नहीं मिलेगा वे भी अपनी ज़मीन तलाषेंगे / आने वाला एक वर्ष छत्तीसगढ़ में चुनावी वर्ष रहेगा /
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