Monday, April 29, 2013

अब देश में महिलायों की हालत और ख़राब होती जा रही है।

 अब देश में महिलायों की  हालत और ख़राब होती जा रही है।

जब से delhi रेप कांड हुआ है उसके बाद से ही पुरे भारत वर्ष में रेप की बाड़ सी आ गयी है। सुबह उठकर अख़बार खोलो तो सबसे पहले रेप न्यूज़ का समाचार रहता है। सुबह  हम फ्रेश मूड से उठते हैं की कुछ अच्छे समाचार पड़ने के लिए मिले  किन्तु हम रेप का समाचार ज्यादा पड़ते हैं। ये हो क्या रहा है समहज से परे है।



अब स्तिथि ऐसी हो गयी है की मासूम बच्चों को भी छोड़ा नहीं जा रहा है। पहले जघन्य कृत्य करते हैं फिर उनका  मर्डर कर देते हैं। देश के हर कोने में रोज़ाना ऐसी जघन्य वारदातें हो रही है। हम कानून बनाने में लगे 
हैं। कानून हम कठोर बनाये भी हैं, फिर भी इन सब जघन्य वारदातों से रोजाना  रूबरू होना पड़ रहा है। हर रोज़ कहीं न कहीं बच्चे, युवतियां , महिलाएं यौन शोषण का शिकार बन रहे हैं। 

कानून तो हम कठोर बना लिए हैं , शादी की उम्र भी 18 वर्ष हो गया है, क्या ईन सब कृत्यों में कमी आई  है  ? आज हम कहते हैं की हमारा भारत वर्ष विश्व के 10 शक्तिशाली देशों में शुमार हैं। क्या शक्तिशाली बन्ने से हम अपने देश के बच्चे, युवतियां, महिलायों को योन उत्पीड़न से बचा प् रहे हैं ?

हमे तो पहले मनुष्य के सोच में परिवर्तन लाना होगा।सब चीज़ सोच पर निर्भर करता है। आज स्तिथि ऐसी हो गयी है हम अपने घर के लोगों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों पर भी भरोसा नहीं कर सकते हैं। 

देश के चारों तरफ डेवलपमेंट हो रहा है पर क्या हम मनुष्य के मानसिकता में डेवलपमेंट हो रहा है ? यह किस प्रकार का मानसिकता है की हम नन्हे बच्चियों तक को भी अपने हवस का शिकार बनाने से पीछे नहीं हट रहे हैं? क्या लड़की पैदा होना गुन्हा है ? कब तक चलते रहेगा इस प्रकार का जघन्य अपराध। 

इस विषय पर सरकार को सोचना पड़ेगा की ऐसा क्या किया जाये की इस तरह का जघन्य अपराध बंद हो। केवल कानून बनाने से नहीं होगा , हमे मानसिकता को समहजना  पड़ेगा। विदेशों में जैसे वेश्यालय को मान्यता दी गयी है, उसी तर्ज़ पर हमारे सरकार को भी सोचना पड़ेगा। हो सकता है वेश्यालय खुलने से यह जघन्य अपराध कम हो , क्यूँ की आदमी अपने शारीर की भूख को वहां जाकर मिटाएगा। 

हमे नारियों को भरपूर सम्मान और सुरक्षा देना पड़ेगा  तभी कहीं जाकर हम कुछ हद तक इस प्रकार के जघन्य अपराध पर अंकुश लगा पाएंगे। सरकार यह नियम भी बनाये की प्रत्येक कार्यालय चाहे सरकारी हो या प्राइवेट सभी जगह हर महीने कर्मचारियों की मानसिक काउंसलिंग हो, सभी का दिमाग स्थिर रहे और दुसरे जगह मन विचलित होने से अच्छा अपने काम  और परिवार पर रहे। स्कूल , कॉलेज में भी मनोचिकित्सक नियुक्त किया जाये जिससे टीनएज के शुरू से ही उनके मन की मनोस्थिथि समझी जाये और सही काउंसलिंग किया जाये।

समाज सेवी संसथान , एन .जी . ओ . और सरकारी संसथान को इस ओर अत्यधिक ध्यान देना होगा  जिससे हम मनुष्य के मन को विचलित होने से बचाएं और इस प्रकार के जघन्य अपराधों से अपने भारत देश को बचाएं। 



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