Sunday, May 19, 2013

छत्तीसगढ़ की जनता कशमकश में।

छत्तीसगढ़ की जनता कशमकश में।





आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए छत्तीसगढ़ की दो महत्वपूर्ण पार्टी भाजपा और कांग्रेस मैदान में कूद पड़ी है। कांग्रेस परिवर्तन यात्रा  और भाजपा विकास यात्रा के नाम से छत्तीसगढ़ के जनता तक पहुंचना शुरू कर दिया है। "परिवर्तन यात्रा" तथा " घर घर कांग्रेस -हर घर कांग्रेस " शुरू करके कांग्रेस पार्टी ने पहले बाजी मारी। कांग्रेस के परिवर्तन यात्रा के अंतिम चरण में शामिल होने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी छत्तीसगढ़ के दो दिन के प्रवास पर थे। इस अवसर पर पूरी कांग्रेस पार्टी में एक जुटता दिखी , तथा दिग्गी रजा ने अपने पुराने साथियों (जब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश में था ) के घर जाकर उनसे मिले , उनके साथ नाश्ता, भोजन किया  और आगे की रणनीति के बारे में अपना मत साझा किया।इस पुरे समय में छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के एक मात्र सांसद तथा केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री डॉ चरण दस महंत सारथि के रूप में दिग्गी राजा के साथ थे।इस परिवर्तन यात्रा में कांग्रेस ने भाजपा शाशन काल में हुए घोटालों, झ्लियामारी कांड , आदिवासियों पर अत्याचार , आँख फोड़वा कांड, बच्चियों के साथ योन शोषण, पुष्प स्टील कांड, कोल ब्लाक आबंटन मामला इत्यादि  को छत्तीसगढ़ के जन जन तक पहुँचाया।


 


भाजपा की विकास  यात्रा 6 मई को बस्तर से शुरू हुई जिसके उतघाटन के मौके पर भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण अडवाणी जी  उपस्थित थे। विकास यात्रा का रथ  सभी विधान सभा शेत्रों से गुजरेगी और छत्तीसगढ़ के मुखिया डॉ रमन सिंह और उस शेत्र के विधायक एवं पार्टी कार्यकर्ता जनता को भाजपा सरकार  द्वारा किये गए विकास की गाथा सुनायेंगे।  इस विकास यात्रा में शाश्कीय मशीनरी का भरपूर उपयोग हो रहा है साथ ही प्रत्येक मीडिया में विज्ञापन की बाड़ आ  गयी है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस विकास यात्रा में शामिल होने के लिए 18 मई को रायपुर पहुंचे थे तथा उनहोंने डॉ रमन  के शेत्र नंदगाँव में सभा को संबोधित किया और कहा की विकास इसी तरह चलता रहा तो अगले पांच  वर्षों में छत्तीसगढ़ , गुजरात को पीछे छोड़ देगी।उनहोंने डॉ रमन  सिंह की पिट थपथपाई और कहा तीसरी बार भी आप भाजपा को चुनकर छत्तीसगढ़ में सरकार बनाइये।उनहोंने कहा विकास की राजनीती सरल नहीं होता, सैंकड़ो काम करने के बाद भी कुछ काम छुट जातें हैं , लेकिन यह सही है की विकास की राजनीती अपनाते हैं तो सामान्य आदमी के मन में विश्वास पैदा होता है। अभी विकास यात्रा की  और भी चरणे बाकि हैं जिसमे लोकसभा की नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, राज्य सभा के नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली तथा संगठन और पार्टी  से जुड़े राष्ट्रीय नेता छत्तीसगढ़ के माटी में पधारेंगे। 

अब तो समय ही बताएगा की जनता कांग्रेस का हाथ थमती है की कमल खिलाती है। सब समय के गर्भ में है। इधर छत्तीसगढ़ में दुसरे षेत्रीय पार्टियाँ अपना उम्मीदवार अभी से घोषित करना शुरू कर दिया है।पूर्व इनकम टैक्स कमिश्नर  गिरधारीलाल भगत की पार्टी - भारतीय बहुजन पार्टी अभी से विधानसभा चुनाव की तयारी में जुट गयी है और उनहोंने 17  विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों का चयन भी कर लिया है जिसकी घोषणा बाद में की जाएगी। बहुजन समाज पार्टी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को देखते हुए बहुत पहले ही अपने 24  उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दिया है। अब बाकि है एनसीपी , सपा , छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच आदि पार्टियों के उम्मीदवार चयन और नामों की घोषणा। कुल मिलाकर रण भूमि तैयार हो रहा है , जिसमे जितना दम होगा, और रणनीति होगी वाही चुनाव जीतेगा। लेकिन छत्तीसगढ़ में बस्तर दिसयेडिंग फैक्टर है , यहाँ से जिस भी पार्टी को ज्यादा सीटें मिलेगी वो सर्कार बनाने में आगे रहेगा।


लेकिन अभी जो परिवर्तन यात्रा या विकास यात्रा निकले हैं इससे छत्तीसगढ़ की जनता कशमकश में है। कुछ का मन्ना है की परिवर्तन होना चाहिए , एक ही सरकार  को तीसरी बार क्यूँ रिपीट करें। अब दूसरे  किसी की सरकार  बने तो विकास और रोजगार की गति और भी तेज़ होगी। कुछ अन्य का मन्ना है या कहें कहना है की नहीं - जो सरकार है  और जैसा विकास हो रहा है उससे हम खुश हैं।इस सरकार ने कई मांगे मान ली है और आगे हमारे बारे में और गंभीरता से सोचेगी और हमारे जीवनशैली को और ऊपर ले जाएगी। कुछ का कहना है की इस बार मुख्यमंत्री कोई आदिवासी ही बनें क्यूँ की छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल राज्य है , इसलिए आदिवासियों की तरफ से इस बार मुख्यमंत्री बनाया जाये। यह मांग उठ रही है लेकिन आंच थोड़ी धीमी है। इस बार यदि भाजपा की सरकार  आती है तो भाजपा के प्रथम श्रेणी के दो-चार लोग मुख्यमंत्री बन्ने का दावा पेश कर सकते हैं। जिसकी हाईकमान  से ज्यादा नजदीकियां या घनिष्ठा रहेगी हो सकता है उन्ही को चांस मिल जाये। वैसे पहले से ही छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय  और कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल को राजनाथ जी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में ले लिया है। कहीं यह  संकेत तो नहीं की बृजमोहन की तरफ से मुख्यमंत्री बन्ने की मांग न उठे? दूसरी तरफ भाजपा में असंतुष्टों की क़तर दिन-बार-दिन बढती जा रही है, तथा गोविन्दाचार्य भी सक्रिय हो रहें हैं . अभी बहुत से सवाल हैं जिनका उत्तर भविष्य में हमे मिलेगा। कुल मिलाकर इस वर्ष का छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव कई प्रकार से मजेदार रहेगा।


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