आज शाम के एक प्रमुख समाचार पत्र से जानकारी मिली की अब केंद्र शाशन के साथ साथ मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया ने भी जेनेरिक दवाइयों को प्रेसक्राइब्ड करने के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं /.यह एक स्वागत योग्य कदम है /. अब मरीजों को एथिकल दवाई के जगह अधिकतर जेनेरिक दवाइयां कम कीमत पर हॉस्पिटल , नर्सिंग होम , मेडिकल से सम्बंधित जगह से मिलेगी /.
डॉक्टरों को भी निर्देश दिए गए हैं की वे अधिकतर जेनेरिक दवाइयों को प्रेसक्राइब्ड करें ताकि मरीजों को कम कीमत पर दवा मिले /. अभी दवाइयों के दाम आसमान छु रहे हैं /. लोग न चाहते हुए भी अधिक कीमत पर दवा लेने के लिए मजबूर थे /. गरीब लोग इलाज के लिए जमीन /घर गिरवी रखते थे या बेच भी देते थे /.
अब गरीबों के साथ साथ मध्यम वर्गीय लोगों को भी राहत महसूस होगी /.
जेनेरिक दवाइयां की उत्पादन लागत बहुत कम है लेकिन उसका एमआरपी ज्यादा रहता है /. अब सरकार को चाहिए की दवाओं के एमआरपी पर ध्यान दे /. पांच रूपये की दवा यदि चालीस या पचास में बीके तो कीमत से राहत फिर कहाँ मिली /. कंपनी से लेकर रिटेलर तक जब दवा पहुँचती है तो उसकि कीमत बड़ जाती है /. इस बीच के फैक्टर्स में कमी आना चाहिए /.तब कहीं जाकर मरीजों को राहत मिलेगी /.रेटेलेरों को अधिक मार्जिन देने के कारण दवा अधिक दामों में बिकती है।/ इस पर सरकार , एम् सी आई , दवा कंपनी , डिस्ट्रीब्यूटर तथा रेटैलारों को एक साथ बैठकर एमआरपी को कैसे कम किया जाये विचार करना बहुत ही ज़रूरी है /. तभी कम कीमत पर सभी वर्गों को दवाइयां मिलेगी /.
अब शाशन तथा एम सी आई भी मेडिकल टेस्टों पर होने वाले ज्यादा खर्च पर भी लगाम लगाये /.दवा के साथ साथ यदि मेडिकल टेस्टों के रेट में कमी आ जाये तो करोड़ो लोगों को मेडिकल में होने वाले अत्यधिक खर्च से राहत मिलेगी /. आशा है शाशन और एम सी आई इस और भी ध्यान देगी और मेडिकल टेस्टों पर होने वाले खर्च में कमी लाएगी।/.