मूल धारा में लौट आयें /.
संसद में हमला करने की साजिश रचने वाले मास्टर माइंड अफज़ल गुरु की फांसी पर आज पूरा देश खुश है और संसद हमले में मरनेवालों को यह एक सच्ची श्रधांजलि है। देर आये दुरुस्त आये /. भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुख़र्जी द्वारा उनकी दया याचिका को ख़ारिज करके फंसी की सज़ा को बरक़रार रखते हुए उन्होंने एक बहुत बड़ी मिसाल कायम किया /.ये बहुत बड़ा फैसला है और देशद्रोहियों एवं आतंकवादियों को करारा जवाब भी है / अभी भी समय है आतंकवादी, नक्सली आतंक की राह छोड़कर देश हित में काम करें और एक सम्मानित जीवन व्यातीत करे /.
अफज़ल गुरु की फांसी तो बहुत पहले ही जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला 4-अगस्त 2005 को आया था और फांसी की तारीख 20-अक्टूबर 2006 को तय किया गया था तब ही हो जाना चाहिए था /.लेकिन 3-अक्टूबर 2006 को अफज़ल की पत्नी द्वारा दाखिल दया याचिका के कारन देरी हो गया /.उसी समय तत्कालीन राष्ट्रपति को दया याचिका ख़ारिज करके फांसी दे देना चाहिए था, पर क्यों नहीं हुआ यह राष्ट्रपति कार्यालय और गृह मंत्रालय ही बता सकते हैं /.
कसब और अफज़ल को फांसी दिया जाना पाकिस्तान के लिए बहुत ही करारा जवाब है। इससे पड़ोसि देशों को सीख लेते हुए आतंक के रास्ते में चलना बंद करना चाहिए /.इससे तो मिलने वाला कुछ नहीं है, फिर क्यूँ आतंक के रास्ते चलना ? अपने देश को पुरे विश्व के सामने बदनाम करके और अपने परिवार को भी क्यूँ जोखिम में डालना /. सभी आतंकी को, देश , पड़ोसी देश तथा विश्व के हित में कार्य करना चाहिए /.
मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता के हैसियत से सभी आतंकी और नक्सली से अपिल करना चाहूँगा की वे आतंक की राह छोड़कर मूल धरा में लौटें और एक व्यवस्थित जीवन व्यतीत करे /.विनाशकारी पथ पर चलकर क्या लाभ मिलेगा /. वे देश - राज्य के विकास कार्यों में अपना योगदान दें और नौकरी /व्यावसाय करके अपना और अपने परिवार का जीवन यापन करें /.
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